वेतन वृद्धि का फर्जी शासनादेश बना फार्मासिस्टों ने हड़पे लाखों

यूपी, एटाः वेतन वृद्धि का फर्जी शासनादेश बनाकर आठ फार्मासिस्टों ने विभाग की आंखों में धूल झोंक दी। इसके बाद अपना वेतन बढ़वा लिया। आडिट हुआ तब मूल आदेश की प्रति तलाशी गई तो पता चला कि शासनादेश को ही बदल दिया गया था। मास्टरमाइंड कौन था, इसका पता नहीं चला है। अगर आडिट में मामला पकड़ में नहीं आता तो आगे भी यह कर्मचारी वेतन वृद्धि लेते रहते।

विभाग में खलबली

अब स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची है। सीएमओ ने फार्मासिस्टों से रिकवरी के आदेश दिए हैं।मामला वर्ष 2015 से लेकर 2017 के बीच का बताया जा रहा है। उस समय वेतन वृद्धि के लिए शासन से एक आदेश आया था, जिसमें फार्मासिस्टों की वेतन वृद्धि की गई थी। किसी एक फार्मासिस्ट को मूल आदेश की प्रति मिल गई और उसके साथ छेड़छाड़ कर खुद ही मनमाने ढंग से वेतन वृद्धि करा ली। उक्त फर्जी शासनादेश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास पहुंचा तो उन्होंने भी बिना पड़ताल के संस्तुति कर दी। इसके बाद आठ फार्मासिस्ट यतेंद्र कुमार, अनिल कुमार, लक्ष्मीकांत, सतेंद्र, शिवचरन, आदेश कुमार, नवीन गुप्ता मनमाने ढंग से वेतन वृद्धि का लाभ लेने लगे। तब से लेकर अब तक वे उक्त फर्जी शासनादेश के जरिए वेतन लेते रहे।

पिछले दिनों आडिट में मामला पकड़ में आया।स्वास्थ्य विभाग में तैनात कर्मचारियों की सूचियां खंगाली गईं, सारे अभिलेखों से मिलान किया गया। आडिट करने वालों ने यहां अधिकारियों को जानकारी दे दी। इस पड़ताल में आठ नाम सामने आए। इन आठों फार्मासिस्टों की तैनाती एटा जनपद में ही है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रत्येक फार्मासिस्ट ने वेतन वृद्धि में कई लाख रुपये तक का लाभ लिया है। एटा के मुख्य चिकित्साधिकारी, डा. यूके त्रिपाठी के अनुसार, शासनादेश से छेड़छाड़ का मामला हमारे कार्यकाल का नहीं है।

आठ फार्मासिस्ट मनमाने ढंग से वेतन वृद्धि का लाभ लेते रहे। मामला आडिट के दौरान पकड़ में आया। अब फार्मासिस्टों से वसूली की जाएगी।

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