प्रयागराज: प्यार की राहें कभी आसान नहीं होतीं, लेकिन जब यही प्यार किसी के करियर को दांव पर लगा दे, तो कहानी और जटिल हो जाती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है प्रयागराज के मऊआइमा क्षेत्र से, जहां एक युवक के प्रेम प्रसंग ने उसकी सरकारी नौकरी को खतरे में डाल दिया है।
तीन साल तक चले प्रेम संबंध के बाद जब शादी की बारी आई, तो युवक ने कदम पीछे खींच लिए। नाराज प्रेमिका ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया, जिसके चलते युवक को जेल की हवा खानी पड़ी। जमानत पर रिहा होने के बाद उसे पुलिस कांस्टेबल के पद पर चयन का मौका मिला, लेकिन ज्वाइनिंग के लिए चरित्र प्रमाण पत्र की मांग ने उसे मुश्किल में डाल दिया।
युवक ने जिलाधिकारी (डीएम) रविंद्र कुमार मांदड़ से गुहार लगाई, लेकिन डीएम ने साफ कहा कि दुष्कर्म जैसे गंभीर मुकदमे में चरित्र प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है। नियमों के अनुसार, यदि किसी के खिलाफ एफआईआर या एनसीआर दर्ज है, तो चरित्र प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा सकता। केवल तभी प्रमाण पत्र जारी हो सकता है, जब मुकदमे में सुलह हो, फाइनल रिपोर्ट लगे, या मुकदमा खत्म हो जाए।
युवक ने शासकीय अधिवक्ता से सलाह ली, जिन्होंने उसे प्रेमिका से शादी कर लेने का सुझाव दिया। लेकिन अब दिक्कत यह है कि प्रेमिका की शादी किसी और से तय हो चुकी है। ऐसे में युवक के सामने कानूनी और भावनात्मक उलझनें बढ़ गई हैं।
पिछले मामलों में मिली राहत, लेकिन इस बार चुनौती अलग
हाल ही में डीएम ने 24 युवकों के चरित्र प्रमाण पत्र जारी कर उनकी पुलिस भर्ती की राह आसान की थी। मंगलवार को भी 22 युवक, जिनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज थे, डीएम के पास पहुंचे। इनमें मऊआइमा का यह युवक भी शामिल था। उसने दावा किया कि शादी से इनकार करने के कारण प्रेमिका ने उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया।
क्या है चरित्र प्रमाण पत्र का नियम?
चरित्र प्रमाण पत्र सरकारी नौकरी में ज्वाइनिंग के लिए अनिवार्य होता है। यह डीएम द्वारा जारी किया जाता है। यदि किसी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज है, तो प्रमाण पत्र जारी नहीं होता। केवल शासकीय अधिवक्ता की संस्तुति और मुकदमे के समाप्त होने पर ही यह संभव है।
आगे क्या करेगा युवक?
अब युवक के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसकी नौकरी दांव पर है, तो दूसरी तरफ प्रेमिका की शादी तय होने से सुलह की राह भी बंद होती दिख रही है। वह अब कानूनी विकल्प तलाश रहा है, लेकिन यह मामला यह सवाल उठाता है कि क्या प्यार की राह में उठाए गए कदम इतने भारी पड़ सकते हैं कि सपनों को ही कुचल दें?
यह कहानी न केवल एक युवक की व्यथा है, बल्कि समाज में प्रेम, विश्वास और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच उलझनों की एक मिसाल भी है।